मैं जो भी कुछ करता हूं अपने सुखी होने की आशा से करता हूं एहसान होता ही नहीं अगर हम किसी को सहयोग करते भी हैं तो अगर वह हमारा सहयोग स्वीकार कर पाता है तो उसे एहसान जैसा लग सकता है जबकि हमारे लिए सहयोगी होना हमारा जीना है सामने वाले से उसके बदले में कोई अमानवीय अपेक्षा नहीं रहती इतना समझने के बाद दूसरों के लिए हमने क्या-क्या नहीं किया क्या-क्या किया इसके लोड से बाहर आ जाते हैं और अपने में हल्का महसूस करते हैं नहीं तो हम यही सोचते रहते हैं कि हमने तो इसके लिए इतना सब किया अब वह भी हमारे साथ कुछ अच्छा करें ऐसे ही दूसरों से न्याय की भीख मांगना बोल रहे हैं दूसरे में योग्यता है नहीं और उससे अच्छे व्यवहार की उम्मीद कैसे कर सकते हैं
एहसान होता है या नहीं
July 20, 2023